मध्य प्रदेश के जबलपुर के गांव के ग्रामीण इलाकों में किसानों का बुरा हाल हुआ किसानों का कहना है की टमाटर की खेती बहुत अच्छी हुई है. लेकिन मंडी में दम नहीं मिल रहे हैं. इसलिए किसान बहुत निराशा है. वह लोगों को यह बोल रहे हैं कि मेरे खेत से जितना चाहे टमाटर ले जाओ कोई कीमत नहीं चाहिए.
जबलपुर के ग्रामीण इलाकों में टमाटर और शिमला मिर्च उगने वाले किसान इस समय काफी परेशान है. इस साल टमाटर की पैदावार बहुत अच्छी हुई है. शिमला मिर्च की भी पैदावार बहुत अच्छी हुई है. लेकिन बाजार में इनकी कीमत नहीं मिल रही है. किसान मुश्किल में है उन्होंने कहा कि हमने जितना मेहनत किया है. और हमने खेती में जितना खर्च किया है वह दम भी नहीं आ रहा है. तो हम टमाटर बेचकर क्या करें.
टमाटर को अगर खेत से निकल कर और बाजार तक पहुंचाने जितना उसका किराया लगता है. उतना पैसा भी नहीं मिल रहा है तो हम टमाटर का क्या करें. इससे परेशान होकर किसान ने अपने खेत में मुफ्त में टमाटर बांट रहे हैं क्योंकि उन्हें तोड़ने का और मंडी तक पहुंचाने का जो खर्च आएगा. वह खर्च भी इस टमाटर को बेचकर पूरा नहीं हो पाएगा.
खेतों में इतना टमाटर देखकर किसान परेशान है कौन ले जाएगा. इसे क्योंकि फसल तोड़ना भी जरूरी है और दूसरा फसल लगाना भी जरूरी है खेतों में पके हुए टमाटर लदे हुए हैं. किसानों का कहना है कि मुनाफा तो दूर टमाटर की तोड़ने में जो मजदूर लगेंगे उनकी लागत भी नहीं निकलेगी. ऐसे में हमारा मेहनत पूरी तरह बर्बाद हो गया है. आपको बता दे कि यहां के ग्रामीण के हर खेत में टमाटर पक कर सड रहे हैं.
सभी किसान परेशान है. कोई व्यापारी भी नहीं ले जा रहा है. टमाटर अगर मुफ्त में भी दे रहे हैं तो कोई तोड़ने वाला नहीं है. आपको बता दे की मंडी का भाव शून्य हो चुका है टमाटर ₹1 किलो व्यापारी खरीदने के लिए तैयार हैं. लेकिन किसान अपने खेत में टमाटर तोड़ने के लिए जो मजदूर लगाएंगे. उसकी मजदूरी भी नहीं निकलेगा तो ₹1 क टमाटर बेचकर क्या फायदा होगा.
